राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 295

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीचंद्रावली-लीला

(प्रलाप)
आये, आये, वो आये। आऔ, आऔ प्यारे! मैं तौ आप ही कूँ खोज रही, परंतु बहुत देर में आये। हैं, कहाँ जाय रहे हौ अबहीं तौ आये और चलि दिये! प्यारे! नेंक तौ सुनौ!
[पकरिबे कूँ दौरनौ और मूर्च्छित होय गिरनौ]
(दोहा)

आऔ प्यारे मोहना, पलक झाँपि तोहि लेउ।
ना मैं देखूँ और कूँ, ना तोहि देखन देउँ।।

ओह! निठुर चले गये।
(दोहा)

वाँह छुड़ायें जात हौ निबल जानि कैं मोय।
हिरदे में ते जाहगे, तब जानूँगी तोय।।

अच्छौ, चले जाऔ। कहाँ जाऔगे? मैंने आप की याद अपने हृदय में बैठाय राखी है, आप याकूँ तो नहीं लै जाऔगो। प्यारे! मैंने आप सौं प्रीत करी है, अब यह टूटिबे की नहीं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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