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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीचंद्रावली-लीला(प्रलाप)
ओह! निठुर चले गये।
अच्छौ, चले जाऔ। कहाँ जाऔगे? मैंने आप की याद अपने हृदय में बैठाय राखी है, आप याकूँ तो नहीं लै जाऔगो। प्यारे! मैंने आप सौं प्रीत करी है, अब यह टूटिबे की नहीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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