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श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला
- अति बचन चातुरे कीजौ। मत नाम हमारौ लीजौ।।
- कहियौ इक गोप सुता है। सो दरस रावरे चाहै।।
- यह सुनौं हमारी सिच्छा। हरि लीजै प्रेम-परिच्छा।।
- समाजी-
- तहँ गई सखी लै साथा। जहँ बैठे गोकुल नाथा।।
- सखी-
- सखि प्रेम कथा बिस्तारी। तुम सुनियै मदन-मुरारी।।
- इक गोप-कुँवरि चपला सी। हरि दरस-परस की प्यासी।।
- वाके मन माँहि छयेहौ। किधौं सुपने सदन गयेहौ।।
- तब तैं वाहि कछू न भावै। वह कान्ह-कान्ह रट लावै।।
- ता दिन तैं पान न खाई। भोजन की कौन चलाई।।
- वह कदम ओट है ठाढ़ी। आपन तन अति रति बाढ़ी।।
- वह चंद-बदनि मृगनैनी। कल चंपक-तिन पिक-बैनी।।
- वह सोड़स बरस भई है। तन जोवन जोति नई है।।
- वारौं वापै राधा सी। पुनि कटि-कोटि कमला सी।।
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