राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 279

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला

अति बचन चातुरे कीजौ। मत नाम हमारौ लीजौ।।
कहियौ इक गोप सुता है। सो दरस रावरे चाहै।।
यह सुनौं हमारी सिच्छा। हरि लीजै प्रेम-परिच्छा।।
समाजी-
तहँ गई सखी लै साथा। जहँ बैठे गोकुल नाथा।।
सखी-
सखि प्रेम कथा बिस्तारी। तुम सुनियै मदन-मुरारी।।
इक गोप-कुँवरि चपला सी। हरि दरस-परस की प्यासी।।
वाके मन माँहि छयेहौ। किधौं सुपने सदन गयेहौ।।
तब तैं वाहि कछू न भावै। वह कान्ह-कान्ह रट लावै।।
ता दिन तैं पान न खाई। भोजन की कौन चलाई।।
वह कदम ओट है ठाढ़ी। आपन तन अति रति बाढ़ी।।
वह चंद-बदनि मृगनैनी। कल चंपक-तिन पिक-बैनी।।
वह सोड़स बरस भई है। तन जोवन जोति नई है।।
वारौं वापै राधा सी। पुनि कटि-कोटि कमला सी।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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