राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 260

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसिद्धेश्वरी-लीला

श्रीकृष्ण-

(दोहा)

आवैंगी याही मग प्यारी प्रबीन आज,
दरस-परस मेरे जिय मोद उपजावैंगी।
दया की निधान, गुरु-रूप की निधान,
सुख-सील की निधान आज आनँद ठनावैगी।।
समाजी-

(पद)

छैल ब्रजचंद जू ठाड़े गैल माँहि गाढ़े,
राधे जू सोभित ज्यौं चंपा की कली नई।
सूनी कुंज देखि एक तहाँ स्याम छिपि रहे,
यह जिय जानी आज भेट तौ भली भई।।
उन हूँ नें जान्यौं प्यारे ठाढ़े हैं गैल माहिं,
मृदु मुसिकाय ओर दाहिनी गली लई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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