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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-सम्पुट लीलाश्रीजी- हे सुंदरी, अनुमान होय है कि तुम कूँ कोई अंतरंग ब्यथा है, अन्यथा तुम्हारी ये दसा न हौंती। हे पिय पद्मनने, मेरे प्रति बिस्वास स्थापन करि कैं अपने हृदय की सब ब्यथा कहौ, जासौं तुम्हारौ दुख दूर करिबे के लिए कोई जतन करूँ।
अर्थ- हे भामिनी! अंतरंग विषादरूपी फोरा ते उत्पन्न जो असहनीय दुख है, वो अपने सुहृदन के आगें प्रकास करिबे तें ही सांत होयगौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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