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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्वय - हे केशव! हे धृत-दशविधरूप! (स्वीकृतदशावतार- विग्रह) हे जगदीश, हे हरे, [त्वं] जय (सर्वोत्कर्षेण वर्त्तस्व) तथा उदारं (महार्थयुक्तं) सुखदं (ऐहिकामुष्मिकपरमानन्दप्रदं) शुभदं (कल्याणप्रदं) भवसारं (भवे संसारे सारं सर्वोत्कृष्टं यद्र वा अवताराणां जन्मन: सारम् आविर्भाव-रहस्यं यत्र तत्) श्रीजयदेवकवे: उदितम् (भाषितं) इदं (दशावतारस्तोत्र) श्रृंणु, [अथवा अयि महानुभाव भक्तजन इति अध्याहार्यम्] ॥11॥
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