विषय सूची
श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
द्वादश: सर्ग:
सुप्रीत-पीताम्बर:
चतुर्विंश: सन्दर्भ:
24. गीतम्
पद्यानुवाद बालबोधिनी- श्रीराधा श्रीकृष्ण को इस पद में 'मानद' शब्द से सम्बोधित करती हैं। मानद अर्थात् मान प्रदान करने वाले श्रीकृष्ण, अपनी प्रेयसियों को सम्मान देने वाले श्रीकृष्ण, 'मानद्यति' अर्थात् मानिनी रमणियों के मान को खण्डित करने वाले श्रीकृष्ण! आप अपनी शोभा से मयूरों के शिखण्डक अर्थात् मयूरपिच्छ को भी तिरस्कृत करने वाले हैं, मेरे कृष्ण-कुन्तल मनोभव के ध्वज-चमर के समान मनोहर एवं रुचिर हैं, रतिकाल में इनका बन्धन खुल गया है आप इनमें कुसुमों को सुसज्जित कर दें। आप ही कुसुम-गुम्फित केशपाश बनकर महकें। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
सर्ग | नाम | पृष्ठ संख्या |