विषय सूची
श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
एकादश: सर्ग:
सामोद-दामोदर:
द्वाविंश: सन्दर्भ:
22. गीतम्
पद्यानुवाद बालबोधिनी- श्रीराधा श्रीकृष्ण को देख रही हैं कि उनका सम्पूर्ण शरीर पुलकित हो रहा है, अद्भुत रोमांच से युक्त हो रहा है, रति-क्रीड़ा के लिए वे एक विचित्र आकुल प्रत्याशा से अधीर तो हो ही रहे थे, श्रीराधा-मिलन से तो रति-केलि-कला में उपयोगी चुम्बनादि क्रियाओं में व्यस्त होने के कारण और भी चंचल हो उठे। मणिमय भूषणों की कान्ति से देदीप्यमान होने के कारण उनका श्रीविग्रह अत्यधिक सुशोभित हो रहा था, जिन आभूषणों को उन्होंने धारण कर रखा था, उन आभूषणों में लगी हुई मणियों के किरणसमूह से सभी आभूषण चमचमा रहे थे ऐसे मणिमय अलंकारों से सुन्दर वपु वाले श्रीकृष्ण को श्रीराधा ने देखा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
सर्ग | नाम | पृष्ठ संख्या |