गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-16
दैवासुर-संपद-विभाग-योग
दैवासुर-संपद-विभाग-योग
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्तःकरण की शुद्धि तथा सात्त्विक वृति
- ↑ दैवी सम्पदाभिजात व्यक्ति
- ↑ ज्ञान-मार्ग और कर्म-योग-मार्ग में गाढ़ स्थिति रखने वाला
- ↑ स्व-धर्मानुसार आचरण करने वाला
- ↑ सरल स्वभावी; सत्य व स्पष्ट वक्ता
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज