गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-15
पुरुषोत्तम-योग
पुरुषोत्तम-योग
"श्लोक 16 से 20 का भावार्थ" भगवान कृष्ण पुरुषोत्तम क्यों कहे जाते है यह श्लोक 16 से 20 में बताया गया है। इस श्लोक में क्षर और अक्षर नाम के दो पुरुष हैं और भगवान कृष्ण इन दोनों पुरुषों से भिन्न है; इन दोनों परे व उत्तम है; तीनों लोकों का पोषण करने वाले है; इसी कारण व्यवहार में व वेदों में ‘पुरुषोत्तम’ कहे जाते है। इति श्रीहिंदी गीताऽमृत पुरुषोत्तम-योग नाम |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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