गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-18
मोक्ष-संन्यास-योग
मोक्ष-संन्यास-योग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भगवान की परम भक्ति प्राप्त कर लेना ही तत्त्व ज्ञान की पराकाष्ठा है इसे प्राप्त कर लेने पर और कुछ भी विशेष जानना शेष नहीं रहता। इस पराभक्ति को ही ज्ञान की परा-निष्ठा, परम नैष्कर्म-सिद्धि वा परम-सिद्धि कहा गया है
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