वारुण शंख का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है, जिसे सतयुग में प्रजापति ब्रह्मा ने इन्द्र को दिया था।
- महर्षि अर्चिश्रुत (याज्ञवल्क्य प्रथम) के अनुसार शंख मात्र पाँच ही प्रकार का होता है-
- वारुण
- पर्जन्य
- माहेश्वर
- नारायण
- पाञ्चजन्य
- इसमें नारायण शंख को ही दक्षिणावर्ती शंख कहा जाता है।
- तत्त्वार्थ संहिता में इसका रहस्यमय भेद बताया गया है।
- ये पाँचो शरीर निर्माण में सन्निहित पञ्च तत्त्वों के मूल भूत पदार्थ है, जिनके कारण इसे धारण करने वाले को त्रिविध ताप-अधिदैहिक, अधिदैविक एवं अधिभौतिक, नहीं सताते है।
- इन पाँचो शंखो से वृद्धि क्रम में पाँचो स्वर निकलते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 127 |
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज