अवनाह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रन्थ महाभारत में हुआ है। ये महाभारत में प्रयुक्त होने वाले रथ का ही एक अंग है, जिसे त्रिवेणु और युग[1] के बाँधने की रस्सी में प्रयोग किया जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस.पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 128 |
- ↑ गाड़ी या हल को खींचते समय बैलों के कंधों पर रखी जाने वाली आगे की लकड़ी।
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