गूलर

गूलर बरगद की जाति का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उदुम्बर, बांग्ला में हुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदम कहते हैं। इस पर फूल नहीं आते। इसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं। और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के से होते हैं नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तें-फल से छोटे होते हैं। महाभारत में भी इस पेड़ का उल्लेख मिलता है।[1]

पत्ते

कठूमर के पत्ते गूलर के पत्तों से बडे होते हैं। इसके पत्तों को छूने से आँखों में खूजली होने लगती है। और पत्तों में से दूध निकलता है।

गुण

'गूलर' शीतल, गर्भसंधानकारक, व्रणरोपक, रूक्ष, कसैला, भारी, मधुर, अस्थिसंधान कारक एवं वर्ण को उज्ज्वल करने वाला है कफपित्त, अतिसार तथा योनि रोग को नष्ट करने वाला है।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत वन पर्व अध्याय 64 श्लोक 1-22
  2. गूलर का पेड़ (हिन्दी) Pragati Paryavaran Sanrakshan। अभिगमन तिथि: 6 मार्च, 2016।

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