मीराँबाई की पदावली
अपना मार्ग
राग पटमंजरी
मीराँ लागो रंग हरी, औरन[1]रँग अटक परी ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सब्र
- ↑ कहीं-कहीं इसके आगे और भी कुछ पंक्तियाँ मिलती हैं ।
- ↑ मीराँ = मीरा को। रंगहरी = हरि वा कृष्ण का रंग अथवा हरा रंग अटक = बाधा, रुकावट। औरन...परी = ( हरे के अतिरिक्त ) अन्य रंगों के लगने में अब अड़चन पड़ गई। चूड़ो = चूडि़याँ। सील बरत = शील व व्रत, आचार व्यवहार। सिणगारो = श्रृंगार। दाय = पसंद। गुरग्यान = गुरु का दिया ज्ञान। विन्दो = वन्दो, प्रशंसा करो। गास्याँ = गावेंगी। करसी = करेगा। चढ़स्याँ = चढ़ेंगी। गज...होई = अब ऐसी बात नहीं हो सकती कि मैं एक बार कृष्ण को अपना कर फिर विषयों की ओर उन्मुख होने चलूँ। विशेष - हरे रंग पर दूसए किसी रंग का चढ़ना कठिन है।
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