गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 58

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 1

अस्तु लक्षणा द्वारा ही ‘कृष्णलान् श्रपयेत्’ का तात्पर्य समझना होगा। ‘उष्णीकरणे लक्षणा’ अर्थात् श्रपण का लक्षण है उष्णीकरण में। एतावता ‘कृष्णलान श्रपयेत्’ का गौणार्थ हुआ कि यवाकार सुवर्ण-खण्ड कृष्ण्लों को उष्ण करो। इसी तरह ‘सर्व विष्णुमयं जगत्’ जैसे कथन का अर्थानुभव भी लक्षणा के आधार पर ही सम्भव है। अस्तु ‘सर्व विष्णुमयं जगत्’ जैसी उक्ति का तात्पर्य है कि भगवान् विष्णु ही चेतनाचेतनात्मक सम्पूर्ण वस्तुस्वरूप हैं। श्रीमद्भागवत में एक कथा आती है;

तेनैव साकं पृथुकाः सहस्रशः स्निग्धाः सुशिग्वेत्रविषाणवेणवः।
स्वान् स्वान् सहस्रोपरिसंख्ययान्वितान् वत्सान् पुरस्कृत्य विनिर्ययुर्मुदा।।[1]

ग्वाल-बाल अपने-अपने सहस्राधिक संख्यात बछड़ों को कृष्ण के असंख्यात बछड़ों के साथ मिलाकर उनके साथ खेलने चले। ऐसे समय में ब्रह्मा द्वारा संपूर्ण ग्वाल-बालों का उनके बछड़ों सहित अपहरण कर लिए जाने पर भगवान् कृष्ण स्वयं ही भूषण वसन अलंकारादि सर्वोपकरण सहित सम्पूर्ण ग्वाल-बाल मण्डली एवं बछड़ों के चेतनाचेतनात्मक रूप में प्रकट हो गये। भागवत-वाक्य है- यावद् वत्सपवत्सकाल्पकवपुर्यावत् कराङ्घ्रद्यादिकं यावद् यष्टिविषाणवेणुदलशिग् यावद्विभूषाम्बरम्। यावच्छीलगुणाभिधाकृतिवयो यावद् विहारादिकं सर्वं विष्णुमयं गिरोऽंगवदजः सर्वस्वरूपो बभौ।।[2]

परात्पर प्रभु श्रीकृष्ण ने जड़-चेतनात्मक सम्पूर्ण रूपों में प्रकट होकर ‘विष्णुमयं जगत्’ जैसी उक्त को प्रमाणित कर दिय। यहाँ शंका होती है कि व्रज की चार कोस भूमि में सम्पूर्ण व्रजवासी-जन, अनेकानेक गोपांगनाएँ तथा उनके महलादिक, अनेकानेक आवश्यक उपकरणों के साथ ही साथ प्रत्येक गोप-बालक के सहस्राधिक गाय-बछड़े तथा भगवान् श्रीकृष्ण के असंख्यात गाय-बछड़े क्योंकर समा सके? इस शंका का समाधान यही है कि परात्पर प्रभु परमेश्वर की योगमाया के द्वारा असम्भव भी सम्भव हो जाता है। परब्रह्म का अघटित-घटना-पटीयान् स्वात्मयोग ही योगमाया है। जैसे स्वप्न के अनतर्गत सूक्ष्मातिसूक्ष्म नाड़ियों में जगत्-प्रपन्च दृश्यमान होता है वैसे ही भगवान् की योगमाया द्वारा व्रजधाम में यह अपूर्व चमत्कार सम्भव हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भा. 10।12।2
  2. श्रीमद्भा. 10।13।19

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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