गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 364

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 13

प्रणतकामदं पद्मजार्चितं धरणिमण्डनं ध्येयमापदि।
चरणपकंजं शंतमं च ते रमण नः स्तेष्वर्पयाषिहन्।।13।।

अर्थात, हे रमण! आपके चरणारविन्द प्रणतजनों के समस्त पाप-ताप का शमन एवं अशेष मंगल को प्रदान करने वाले हैं, सम्पूर्ण आधि-व्याधि का हनन करने वाले हैं, पद्मज ब्रह्मा एवं पद्मजा लक्ष्मी द्वारा अर्चित धरणी के मण्डल, अलंकार हैं। आपत्ति-काल में आपके चरणारविन्दों का स्मरण ही कर्तव्य है क्योंकि आपके चरणारविन्द-स्मरण से सम्पूर्ण से आपत्तियाँ कट जाती हैं। हे रमण! आप अपने पाद-पंकजों को हमारे स्तन-मण्डल पर विन्यस्त कर विप्र-योगजन्य तीव्र ताप का शमन करें। पिछले श्लोक में गोपाङनाओं में भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के नैष्ठुर्य का वर्णन किया; वे कहती हैं कि हे वीर! अपने घनरजस्वल, नील-कुन्तल-समावृत, वनरुहानन मुखचन्द्र को बारम्बार हमारे सामने उपस्थित कर आपने स्वयं ही हठात् हमारे मन में स्वविषयक स्मर उद्बुद्ध किया। स्मर-उद्बोधन में तो आप अत्यन्त वीर हैं परन्तु हमारे हृत्ताप-उपशमन, तापापनोदन में आपकी वीरता स्थिर नहीं रहती। विप्रयोग-ताप-विदग्ध विहल गोपाङनाएँ अकारण-करुण, करुणा-वरुणालय भगवतस्वरूप में अकारुणिकता का आरोप करती हुई भी भगवान् के कुपित हो जानने की आशंका से क्षमापन कर रही हैं; वे कह रही हैं कि हे प्रभो! हम आपके दोषानुसंधान नहीं कर रही हैं,

हम तो अपने ही मन्दभाग्य का वर्णन कर रही हैं।

‘राजन् कनकधाराभिस्त्वयि सर्वत्र वर्षति।
अभाग्यच्छत्रसञ्छन्ने मयिनायान्ति बिन्दवः।।’[1]

हे राजन्! यद्यपि आप तो विशुद्ध सुवर्ण-वृष्टि ही करते हैं तथापि हमारे अभाग्य मन्द-भाग्य के कारण ही हम पर तो आपका एक विन्दु भी नहीं आ पाता। हे भगवन्! आप करुणावरुणालय हैं, परम दयामय हैं परन्तु हमारे अपने दुर्भाग्य से ही हमारे दुखों की निवृत्ति, हमारे हृत्ताप की उपशान्ति नहीं हो पाती। हम आशा करती हैं कि आपके पदारविन्द संस्तवन द्वारा हमारे अभाग्य का शमन हो जायगा। आपके पाद-पंकज ‘प्रणत-कामदं’ हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भोजप्रबन्ध

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क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
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