पीया बिनि रहौइ न जाइ -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरहयातना


शब्‍द


पीया बिनि रह्यौइ न जाइ ।। टेक ।।
तन मन मेरो पिया पर बारूँ, बार बार बल जाइ ।
निसदिन जोऊँ बाट पिया की, कबर मिलोगे आइ ।
मीराँ के प्रभु आस तुमारी, लीज्‍यौ कंठ लगाइ ।।73।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पीया = प्रियतम श्रीकृष्ण। मेरो = अपना। वारूँ = न्योछावर करती हूँ। बलजाइ = बलिहारी जाती हूँ। जोऊँ = देखती हूँ, प्रतीक्षा में रहती हूँ। कंठ लगाइ = स्वीकार कर लो, अपना लो।

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