मीराँबाई की पदावली
विरहयातना राग मांड
नातो नाम को मोसूँ तनक न तोड़यो जाइ ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ औपद
- ↑ तो
- ↑ खड़ी
- ↑ रे
- ↑ नातो = नाता, संबंध। मोसूँ = मुझ से। तनक = ज़रा भी। ताड्यो जाई = तोड़ा जा पाता है। पानाँ ज्यूँ = पत्तों की तरह। पिंडरोग = पांडुरोग। छाने = छिपकर। लाँघण = उपवास का व्रत। जोग = निमित। ( देखो - पीलक दौड़ी सांइयां, लोग कहै पिंड रोग। छांनै लंघण नित करै, राम पियारे जोग - कबीर )। बाबल = बाबाने। बुलाइया = बुलवाये। मरम = भेद वा रहस्य। करक = कसक पीड़ा, दर्द। जाणै = जानता है। दाधी = जली हुई हूँ। काहे कूँ = किस लिए। दारू = दवा। देह = देता है। छीजिया = घट गया। करक = हड्डियाँ। गल = गले में। आहि = आकर। आँगलियाँ रो मूँदड़ो = आँगुलियों की मुँदरी। आवण लागी = आने लगी, ठीक होने लगी। बाँहि = भुजा पर। रहो रहो = रह, चुप रह। पापी = दुष्ट। जे = जो, यदि। साम्हले = सुन पायेगी। जिवदेइ = प्राण त्याग कर देगी। ( देखो - ‘बाबाहिया, प्रिऊ प्रिऊ न कहि, प्रिऊ को नाम न लेह। काइक जागइ विरहणी, प्रिउ कह्या जिऊ देह’ - ढोला मारूरा दूहा )। खिण = क्षण भर के लिए। मंदिर = मकान के भीतर। आँगणे = आँगन में। ज्याँ देसाँ = जिन देशों में। वे देखै = उसको देखता हुआ। खाइ = खा लेना।( देखो = ‘काढि कलेजऊ आवणऊ, भोजन दिउंली तुज्झ’ - ढोला मारूरा दूहा।
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