रमइया बिनि रहोइ न जाय -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरहयातना

राग पीलू


रमइया बिनि रह्योइ न जाय ।। टेक ।।
खान पान मोहि फीको सो लागै, नैणा रहे मुरझाइ ।
बार बार मैं अरज करत हूँ रैण गई दिन जाइ ।
मीराँ कहै हरि तुम मिलियाँ बिनि, तरस तरस तन जाइ ।।71।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रमइया = प्रियतम राम। फीको = बे स्वाद का। मुरझाइ = शिथिल पड़ गये। रैण... जाइ = रात दिन एक एक करके बीतते चले जाते हैं। तरस... जाइ = तरसता रह जाता है।

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