परशुराम जयन्ती वैशाख शुक्ल तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। परशुराम की कथाएं रामायण, महाभारत एवं कुछ पुराणों में पाई जाती हैं। पूर्व के अवतारों के समान इनके नाम का स्वतंत्र पुराण नहीं है।
अग्रतः चतुरो वेदाः पृष्ठतः सशरं धनुः ।
इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।।
अर्थ: चार वेद मौखिक हैं अर्थात पूर्ण ज्ञान है एवं पीठ पर धनुष्य-बाण है अर्थात शौर्य है अर्थात यहाँ ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज, दोनों हैं। जो कोई इनका विरोध करेगा, उसे शाप देकर अथवा बा णसे परशुराम पराजित करेंगे। ऐसी उनकी विशेषता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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