डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ -परमानंददास डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ । संग शिभित वृषभान नंदिनी ललिता विशाखा साथ ॥1॥ वाजत ताल मृदंग झांझ डफ रुंज मुरज बहु भांत । अति अनुराग भरे मिल गावत अति आनंद किलकात ॥2॥ चोवा चण्दन बूकावंदन उडत गुलाल अबीर । परमनानंद दास बलिहारी राजत हे बलवीर ॥3॥ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपरमानंददास के पद लाल कछु कीजे भोजन • कहा करौ बैकुंठहि जाय • बृंदावन क्यों न भए हम मोर • ब्रज के बिरही लोग बिचारे • कौन रसिक है इन बातन कौ • मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै • यह मांगो गोपीजन वल्लभ • आज दधि मीठो मदन गोपाल • माई मीठे हरि जू के बोलना • मंगल माधो नाम उचार • यह प्रसाद हों पाऊं श्री यमुना जी • चैत्र मास संवत्सर • प्रथम गोचारण चले कन्हाई • कापर ढोटा नयन नचावत • आज दधि कंचन मोल भई • पतंग की गुडी उडावन लागे व्रजबाल • श्री जमुना जी दीन जानि मोहिं दीजे • नन्द बधाई दीजे हो ग्वालन • रक्षा बंधन को दिन आयो • राखी बांधत जसोदा मैया • जागो मेरे लाल जगत उजियारे • गोपी प्रेम की ध्वजा • तिहारे चरन कमल को माहत्म्य • डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ • रंचक चाखन देरी दह्यो • यह धन धर्म ही तें पायो • पद्म धर्यो जन ताप निवारण • आज बधाई को दिन नीको • श्री यमुने की आस अब करत है दास • आज ललन की होत सगाई • कुंज भवन में मंगलचार • गावत गोपी मधु मृदु बानी • श्री यमुने सुखकारनी प्राण प्रतिके • श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने • श्री यमुने के साथ अब फ़िरत है नाथ वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः