मीराँबाई की पदावली
उपालंभ राग पहाड़ी
जोगियारी प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूल ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रीतडी = प्रीति, प्रेम। दुखडा = दुख। रो = का। मूक = कारण। वणावत = बनाता है। जावत भूल = भूल जाता है। जेज = देर। चंपेली = चमेली। सूक = दर्द।
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