मीराँबाई की पदावली
उपालंभ
जोगिया से प्रीत कियाँ दुख होइ ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कियां = करने से। मिंत = मित्र। मिलियाँ = मिले। विनि = बिना। फेरि = फिर कभी। आणँद = आनंद।
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