गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 519

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

द्वादश: सर्ग:
सुप्रीत-पीताम्बर:

चतुर्विंश: सन्दर्भ:

24. गीतम्

Prev.png


बालबोधिनी- श्रीभोजदेव और श्रीरामादेवी (श्रीराधा देवी) के पुत्र श्रीजयदेव ने भगवान के प्रिय भक्तों पराशर आदि प्रिय मित्रों के कण्ठ में मुखरित विभूषित होने के लिए और प्रखरित होकर गगन में अनुगुंजित होने के लिए इस पदावली की रचना की है। रसरूप श्रीकृष्ण के स्मरण में अनोखे लीला-चित्र भक्त हृदयों में सदैव सुशोभित होते रहें, प्रिय-प्रियतर-प्रियतम-प्राण सर्वस्व बन जावें।


समाप्तो यं ग्रन्थ:



Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः