('<div class="bgsurdiv"> <h4 style="text-align:center;">श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
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लेता प्रयत-चित भक्त की वह भेंट मैं अनुरक्ति से॥26॥ | लेता प्रयत-चित भक्त की वह भेंट मैं अनुरक्ति से॥26॥ | ||
− | कौन्तेय! जो कुछ भी करो तप यज्ञ आहुति दान भी। | + | कौन्तेय! जो कुछ भी करो, तप यज्ञ आहुति दान भी। |
नित खानपानादिक समर्पण तुम करो मेरे सभी॥27॥ | नित खानपानादिक समर्पण तुम करो मेरे सभी॥27॥ | ||
− | हे पार्थ! यों शुभ-अशुभ-फल-प्रद कर्म-बन्धन-मुक्त हो। | + | हे पार्थ! यों शुभ-अशुभ-फल-प्रद, कर्म-बन्धन-मुक्त हो। |
मुझमें मिलेगा मुक्त हो, संन्यास-योग-नियुक्त हो॥28॥ | मुझमें मिलेगा मुक्त हो, संन्यास-योग-नियुक्त हो॥28॥ | ||
18:24, 20 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'
अध्याय 9 पद 26-30
अर्पण करे जो फूल फल जल पत्र मुझको भक्ति से। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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