होजी म्‍हांराज छोड़ मत जाज्‍यो -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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अनुनय


होजी म्‍हाँराज छोड़ मत जाज्‍यो ।।टेक।।
मैं अबला बल नाहिं गुसाई , तुमहिं मेरे सिरताज ।
मैं गुणहीन गुण नाहिं गुसाईं , तुम समरथ महाराज ।
रावली होइ के कि‍णरे जाऊँ तुमहौ हिवड़ा रो साज ।
मीराँ के प्रभु और न कोई, राखो अबके लाज ।।51।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. होजी = अजी। महाराज = महाराज, प्रियतम। जाज्यो = जाओ। गुसाईं = स्वामी। रावली = रावरी, आपकी। किन = किसके यहाँ। हिवड़ारो = हृदय के। साज = भूषण।

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