मीराँबाई की पदावली
राग परज
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सहेलियाँ = अरी सखियों। साजन = प्रियतम। बहोत = बहुत। जोवती = राह देखती। नेवछावरी = न्योछावर, समर्पण। सनेसड़ा = संदेश। निवाजूँ = अनुग्रह समझूँ। रली वधावणाँ = आनन्द बधाई का उत्सव ( देखो- ‘आजे रली बधाँमणाँ, आजे नवला नेह। सखी, अम्हीणी गोठमइँ, दूधै बूठा मेह’ - ढोला मारूरा दूहा )। भावै = समाता है। हरि सागर = हरि रूप समुद्र। नेहरो = स्नेह, प्रेम में। नैणाँ वँध्या = नेत्र बँध गये वा फँस गये। स्नेह = प्रेम में। दूधाँ = दूध की धाराओं से। आँगणै = आँगन में। बूठा = बर से।
विशेष- "सखी के आँगणै, दूधां बूठा मेह हो," की समानता ऊपर उद्घृत "सखी, अम्हीणी गोठमइँ दूधे बूठा मेह" के साथ देखिए।
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