मीरां म्‍हांना गुरु गोविंद री आण -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
अपना मार्ग


मीराँ—म्‍हाँना गुरु गोविंद री आण, गोरल ना पूजाँ ।
सास—ओरज पूजै गोरज्‍या, जी थे क्‍यूँ पूजो न गोर ।
मन बंछत फल पावस्‍यो जी, थे क्‍यूँ पूजे ओर ।
मीराँ—नहिं हम पूज्‍याँ गोरज्‍याँ जी, नहिं पूजाँ अनदेव ।
परम सनेही गोविंदो, थे काँई जानो म्‍हाँरो भेव ।
सास—बाल सनेही गोविंदो, साध सन्‍तां को काम ।
थे बेटी राठोड़ की, थाँने राज दियो भगवान ।
मीराँ—राज करे ज्‍यानाँ करणे दाज्‍यों, मैं भगतारी दास ।
सेवा साधू जनन की, म्‍हाँरे राम मिलण की आस ।
सास—लाजै पीहर सासरो, माइतणो मोसाल ।
सबही लाजै मेड़तिया जी, थाँसू बुरा कहे संसार ।
मीराँ—चोरी कराँ न मारगी, नहिं मैं करूँ अकाज ।
पुत्र के मारग चालताँ, झक मारो संसार ।
नहिं मैं पीहर सासरे, नहीं पिया जी री साथ ।
मीराँ ने गोबिंद मिल्‍या जी, गुरु मिलिया रैदास ।।29।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. म्हाँना = हमारे, अपने। री = की। आण = आन, शपथ। गोरल = गनगौर। ना पूजाँ = नहीं पूजती। ओरज = और लोग तो। गोरज्या = गोरल वा गनगौर। पावस्यो = पाओगी। भेव = भेद, रहस्य। थाँने = तुझे। ज्याँना = जो कोई भी। मेड़तिया = मेड़ता के निवासी भाई बंद। थाँसूँ = तुझे। मारगी = बटमारी।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः