मीराँबाई की पदावली
उपदेश राग छायानट
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अविनासी = परमात्मा। जेताइ = जिसने, जो कुद भी। दीसे = दीख पड़ता है। धरण = धरणी, पृथ्वी। बिच = मध्य में। तेताइ = वह सभी, उतना। उठि जासी = उठ जायगा, विनश्वर है। इण = इस। देही = शरीर। यो = यह। चहर की बाजी = चिड़ियों का खेल। पड्यां = पड़ने वा न होने पर। कहा = क्या। भयो = हुआ। भगवा पहर्यां = गेरुआ पहनने से। जुगति = युक्ति, ईश्वर प्राप्ति के उपाय। आसी = आयगा। काटो = बन्द करो। जम की फाँसी = मृत्यु का भय, आवागमन।
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