टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हंस करि
- ↑ नैणाँ = नेत्रों के। नेरा = निकट। निरखण कूँ = देखने की। चाव = चाह। घणेरो = उत्कट, बड़ी। सबेरा = शीघ्र। तापतपन = अंतज्र्वाला।
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