गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 612

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 19

‘प्रीतैः प्रकर्षेण इता; प्राप्ता आनन्दा यैः तैः प्रीतैः आनन्दमयैः’ अर्थात् आनन्दप्राप्त, आनन्दसंयुत राजस एवं तामस भावों की शून्यता ही प्रसन्नता, आनन्दमयता है। जैसे, रजादिक से रहित होकर जल निर्मल एवं प्रसन्न हो जाता है, वैसे ही व्रज-सीमन्तिनी-जन भी स्वधर्मानुष्ठान द्वारा श्रीकृष्णचन्द्र का आनुकूल्येन सस्मरण तथा उनके विप्रयोगजनित तीव्र ताप से दग्ध होकर लौकिकता एवं प्राकृततारूप रज से ‘ध्यानप्राप्ताच्युतश्लेषनिर्वृत्याऽक्षीणमंगलाः’ ध्यान से प्राप्त भगवदाश्लेषजन्य अतुलित आनन्दप्रेरक रसस्वरूपता एवं रसात्मकता को प्राप्त हुईं। भगवत्-विप्रयोगजनित तीव्रताप-दग्ध हृदय में भगवत्-स्वरूप स्वभावतः प्रस्फुटित हो जाता है; यदि ऐसा न हो तो भक्त का जीवन ही असम्भव हो जाय।
श्री वल्लभाचार्यजी कहते हैं-

‘कोह्येवानयात्कः प्राव्यात् यद्येष आकाश आनन्दो न स्यात्।’[1]

अर्थात, कौन प्राणन करता, कौन चेष्टा करता, कौन प्राणों को धारण करता यदि परमानन्द, आनन्दकन्द, सच्चिदानन्दघन भगवान् श्रीकृष्ण का आश्लेष न प्राप्त होता; तात्पर्य कि यदि भक्त को ध्यान से भी अचिन्त्य, अदृश्य आनन्दस्वरूप आराध्य आश्लेष प्राप्त न हो तो उसके प्राण ही प्रयाण कर जावें। उन सखीजनों के हृदय में यही शल्य था कि भले ही श्रीकृष्ण-वियोग से प्राण प्रयाण कर जावें तथापि मृत्यु के पूर्व उनके मुखचन्द्र का दर्शन मिल जाय।

कागा सब तन खाइयो, खाइयो चुन-चुन मांस।
दोउ नैना छांडि दीजो, पिया दरस की आस।।

सर्व-समर्थ, सर्वेश्वर प्रभु भी इस आतुरभाव को सहने में असमर्थ हो भक्त के सन्निधान में दौड़े चले आते हैं। मुमुक्षु को मोक्ष तथा आर्त की अभिलाषा पूर्ति करने वाले प्रभु स्वयं ही सर्वकामविनिर्मुक्त, आतुर विह्वल प्रेमी भक्त के विप्रयोगजनित तीव्र-ताप-दग्ध हृदय में आविर्भूत हो जाते हैं। सिद्धान्त है कि ‘आतप्ततनूः न तदायो अश्नुते दिवं।’ अर्थात् जिसका तनु तप्त नहीं हुआ वह भगवदाश्लेष प्राप्त नहीं कर सकता।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तै०2/7

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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