गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 592

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 19

नवीन मतानुसार यह भी कहा जा रहा है कि भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं एवं उपदेशों द्वारा वेदों की अवमानना ही की है। अपर्याप्त ज्ञान तथा असमीचीन दृष्टि ही ऐसी अनर्थात्मक आलोचना का मूल है उदाहरणतः श्रीमद्भागवद्गीता का वाक्य है- ‘वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति बादिनः’[1] हे पार्थ! वेद-वाद रत जन की प्रशंसा नहीं होती। तात्पर्य कि ‘वेदेषुवादाः अर्थवादः’ वेदों मे जो वाद हैं अर्थात् वेदों मे जो अर्थ वाद है उसमें निरत जन नहीं जानते कि ‘आम्नायस्य क्रियाथत्वादानर्थक्यमतदर्थानाम्[2] आम्नाय-पद वाच्य समस्त वेद-राशि का क्रिया अर्थ है अतः जो अतदर्थ है, क्रियार्थक नहीं हैं उनका स्वार्थ में तात्पर्य नहीं होता; अस्तु, ब्रह्म-पर्यवसायी वेद का अभिप्राय विध्यर्थ को न समझते हुए केवल मात्र अर्थ वाद में ही निरन्तर सलग्न रहते हैं, वे स्तुत्य नहीं होते। ‘त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रगुण्यो भवार्जुन।’[3] हे अर्जुन ! वेद त्रैगुण्य-विषय हैं, तुम निस्त्रैगुण्य हो जाओ। ‘त्रैगुण्यविषया वेदा;’ अर्थात् ‘कर्मकाण्डपरा वेदाः’ कर्मकाण्ड-परक वेद त्रैगुण्य-विषय संसार का प्रतिपादन करते हैं। साध्य-साधनात्मक जगत् ही त्रैगुण्य विषय है। उदाहरणतः अग्निहोत्रादिक साधन हैं, स्वर्गादि साध्य हैं। कर्मकाण्ड-परक वेदों का भी महातात्पर्य ब्रह्म में ही है यद्यपि अवान्तर तात्पर्य साध्य-साधनात्मक जगत् में भी है। गीता-वाक्य है- ‘वेदैश्च सर्वेरहमेव वेद्यः’[4] सम्पूर्ण वेदों के द्वारा एक मात्र मैं ही वेद्य हूँ।
उपनिषद् वाक्य है-
‘सर्वे वेदा यत्यपदमामनन्ति’[5] सम्पूर्ण वेद जिसका निरूपण करते हैं। कर्म-काण्उ-परक वेदों का भी महातात्पर्य अन्तःकरण शुद्ध्यादि द्वारा ब्रह्म-निरूपण में ही है; उपासना-काण्ड-परक वेदों का भी महातात्पर्य चित्त विक्षेप-निवृत्ति द्वारा स्वप्रकाश, परब्रह्म, परमात्मा में ही पर्यवसित होता है। अवान्तरतात्पर्य विधया कर्मकाण्ड एवं उपासना-काण्ड-परक, वेदों का त्रैगुण्य-संसार में अभिप्राय हो सकता है परन्तु महातात्पर्य विधया तो कर्म-काण्ड, उपासना-काण्ड एवं ज्ञान-काण्ड-परक वेदों का महातात्पर्य शुद्ध ब्रह्म में ही है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 2/45
  2. जै० सू० 1/2/1
  3. श्री० भ० गी 2/45
  4. श्री० भ० गी० 15/15
  5. कठो० 1/2/15

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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