गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 220

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 6

एक सखा के द्वारा अपने सखा के प्रति छल-छद्म-शून्य प्रतारणा-रहित अभिव्यन्जना ही उचित है। हम तो आपकी सखी जन हैं अतः हम आपके प्रति छल-छद्म-शून्य विज्ञापन ही करती हैं। ‘नः अस्मान् भज, भवत् किंकरीः’ हम आपकी किंकरी हैं अतः आप भी हमारा भजन करें। भगवद्-वचन है, ‘ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।’[1] अर्थात्, भक्त जिस भाव से मुझे भजता है उसी भाव से मैं भी भक्त को भजता हूँ। गोपांगनाएँ कह रही हैं, ‘हे सखे! अपनी प्रतिज्ञानुसार ही आप हमारा भजन’ हमारा अनुसरण करें। जो आपके प्रति कान्तभाववती हैं उनका कान्ताभाव से, जो परमप्रेयान् भाववती हैं उनका परम-प्रेयसी-भाव से अनुकरण करें।’

हे सखे! आपके इस अवतार का सामान्य हेतु ‘व्रजजनार्तिहन्’ व्रजवासियों की आर्ति का हनन भी है तथापि हम प्रेयसी-जनों की पीड़ा का उपशमन ही विशेष हेतु हैं व्रजवासियों के अन्तर्गत हम सीमन्तिनी जनों की आर्ति का भी हनन हुआ है तथापि ‘परित्राणाय साधूनां’ जिनको आपके मुखचन्द्र-दर्शन में ही व्यसन हो गया है, जिनके लिए आपकी सत्य-संकल्पता, सर्वज्ञता, सर्वशक्तिमत्ता कुण्ठितप्राय है, जो केवल आपके सौन्दर्य-सौरस्य-सौगन्ध्य-सुधा जलानधि, दिव्य मंगलमय स्वरूप की मधुरिमा एवं आपके अधर-सुधा-रस में ही आसक्त हैं ऐसे जनों की आर्ति का हनन एवं परित्राण हेतु ‘नः अस्मान् भज’ हे सखे! आप हमारा अनुसरण करें।
आपके इस अवतार का एक अन्य प्रयोजन भी है। आप ‘वीर योषितां’ हैं। काम-क्रोध-मद-मोह-लोभादि अन्तरंग शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना ही सर्वोत्कृष्ठ वीरता है; काम-विजयी ही सर्वोत्कृष्ट विजयी है। स्वनिष्ठ काम-विजय कथचित् सम्भव भी हो जाय परन्तु अन्यनिष्ठ काम को भी उपशान्त कर देना, तत्रापि योषिताओं के काम को उपशान्त कर देना ही सर्वोत्कृष्ट वीरता है, यही धर्मशास्त्र एवं श्रृंगार-शास्त्र दोनों का ही सिद्धान्त है। ‘कामश्चाष्टगुणः स्मृतः, स्त्रीणां चाष्टगुणः कामः’ स्त्रियों में आठ गुणा अधिक काम होता है। फिर सामान्य नर किसी एक भी स्त्री की कामनाओं की पूर्ति कैसे कर सकेगा?

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता 4। 11

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
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18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
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