गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 208

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 5

‘कृष्णोपनिषद’ आदि में कृष्ण के दिव्य चरित्रों का तथा ‘राम तापनीय’, ‘रामरहस्य’ आदि में राघवेन्द्र रामभद्र के दिव्य चरित्रों का सांगोपांग वर्णन है। श्रुतिरूपा गोपांगनाएँ कह रही हैं, ‘निःश्रेयसार्थयिवृष्णिकुले अवतीर्णो यः स वृष्णिधुर्यः।’ प्राणिमात्र के कल्याण के लिए, वृष्णि-कुल में भगवान् कृष्णचन्द्र परमानन्दकन्द का अवतरण हुआ। लोकैषणा, पुत्रैषणा, वित्तैषणा, सर्वप्रकारेण एषणा-विनिर्मुक्त, आप्तकाम, पूर्णकाम, आत्माराम, उच्च अधिकारी तो निर्गुण, निराकार, निरतिशय परात्पर परब्रह्म अन्तर्यामी स्वरूप के साक्षात्कार से ही सदा कल्याण का भागी होता है परन्तु जन-सामान्य के कल्याण हेतु भगवत्-अवतरण परम आवश्यक हैं क्योंकि सगुण साकार अवतार-विशिष्ट में की गई परम पावन लीलाओं एवं दिव्य चरित्रों के वर्णन एवं श्रवण से भी प्राणिमात्र का परम कल्याण होता है।
सगुण साकार प्रभु के परम पावन चरित्रों का वर्णन एवं श्रवण से सनकादि-परमहंस भी, ब्रह्मादि देवाधिदेव भी, शबर, कोल-किरात ग्राम्य-वर्ग भी, यहाँ तक कि गरुड़, गीध, काक आदि मानवेतर प्राणि-वर्ग का भी परम कल्याण होता है। प्राणिमात्र की कल्याण-कामना ही परात्पर प्रभु के अवतरण का एकमात्र कारण है। अद्वैतमतानुसार भी भगवान् सत्य-संकल्प हैं, सर्वज्ञ हैं, सर्वशक्तिमान् हैं, इच्छा मात्र से ही समस्त सृष्टि-संहार में समर्थ हैं; एतावता, राक्षसादि-हनन हेतु नहीं अपितु जन-सामान्य के कल्याण हेतु ही परात्पर ब्रह्म का आविर्भाव होता है। ‘श्रीकरग्रहं, नः श्रु तीनां शिरसि उपनिषद्भागे करसरोरुहं कुरु चरणमीयुषां संसृतेर्भयात्’ जनन-मरण अविच्छेद लक्षणा संसृति से भयभीत होकर जो आपकी शरण में आए हैं ऐसे शरणागतों के सिर पर आप अपने श्रीकर सरोरुह को विन्यस्त कर उनको अभय प्रदान करें।

‘यो ब्रह्माणं विदधाति पूर्वं, यो वै वेदांश्च प्रहिणोति तस्मै।
त्ं हदेवमात्मबुद्धिप्रकाशं मुमुक्षुर्वैशरणमहं प्रपद्ये।।[1]

अर्थात, जो पहले ब्रह्मा को बनाकर उनके लिए वेदराशि को प्रेषित करते हैं, उस आतमबुद्धि को प्रकाशित, उद्भूत करने वाला जो ईश्वर है उसकी मैं शरण हो रहा हूँ, मैं उसको अपना आश्रय स्वीकार करता हूँ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्वेताश्वतर 6। 18

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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