गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 143

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 3

हे सच्चिदानन्दघन, परात्पर, परब्रह्म, आनन्दकन्द श्रीकृष्णचन्द्र परमानन्द अपने साक्षात्कार द्वारा ‘व्यालराक्षसात्’ और ‘वर्षमारुताद्’ अविलम्ब ‘वयं रक्षिताः’ हमारी रक्षा करें। भगवत्-तत्त्व-विज्ञान से ही श्रुतियाँ रक्षित होती हैं। तात्पर्य कि भगवत्-साक्षात्कार से ही अननुष्ठापकत्व-लक्षण-अप्रामाण्य तथा अबोधकत्व-लक्षण-अप्रामाण्य का अप्यय हो जाता है अतः भगवत्-विज्ञान से ही श्रुतियों की रक्षा सम्भव है। ‘एकस्मिन् विज्ञाते सर्वमिदं विज्ञातं भवति।’ एक के विज्ञान से ही सम्पूर्ण का परिज्ञान हो जाता है, कारण के विज्ञान से सम्पूर्ण कार्य का विज्ञान स्वाभाविक है। सम्पूर्ण शास्त्रों का, वेद-वेदांगों का अध्ययन कर लेने पर भी भगवत्-साक्षात्कार न होने पर मिथ्या अहंकार हो जाता है और अपने-आपको ‘अनूचानमानी’ अनूचान हम तत्त्वज्ञ हो गये हैं ऐसा समझने लगता है। उद्दालक-पुत्र श्वेतकेतु का चरित्र इस तथ्य का समर्थक है। विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन करने पर श्वेतकेतु को अहंकार हो गया; पुत्र के अहंकार को तोड़ देने के लिये उद्दालक ने उससे प्रश्न किया-‘उततमादेशमप्राक्षयः, येनाश्रुतं श्रुतं भवति ............. अविज्ञातं विज्ञातमिति।’
अर्थात्, ‘हे पुत्र, तुमने अपने गुरु से उस उत्तम आदेश को भी जाना है क्या जिसको जान लेने पर सबका यथार्थ ज्ञान हो जाता है?’ श्वेतकेतु उत्तर देते हैं, ‘नहीं पिता! मैं ऐसा कुछ नहीं जानता, न गुरु ने ही ऐसा कुछ बताया जिसको जान लेने पर सब कुछ विदित हो जाय। यदि ऐसा कुछ है तो कृपा कर आप ही मुझे यथार्थ ज्ञान दें।’ पुत्र को समझाते हुए उद्दालक कह रहे हैं, ‘हे पुत्र! ब्रह्म-साक्षात्कार से अश्रुतश्रुत एवं अविदित विदित हो जाता है, ऐसा कुछ भी नहीं जो ब्रह्म का अकार्य हो। भगवत्-व्यतिरिक्त कोई वस्तु ही नहीं। श्रुति-कथन है, ‘नात्र काचनभिवास्ति नेहनानास्ति किन्चन।’ जिस वस्तु में कोई भिदा (भेद) नहीं, जिस वस्तु में कोई नानात्व नहीं, ‘नित्यो नित्यानां चेतनश्चेतनानां एको बहूनां यो विदधाति कामान्।’ सम्पूर्ण नानात्व, बहुत्व अपने मूल कारण के ही अन्तर्भूत हैं; कार्य-बुद्धया कारण से ही हीनत्व आदि अपेक्षित है अतः महाकारण के अभिज्ञान से ही सम्पूर्ण का अभिज्ञान हो जाता है। अस्तु, भगवद् साक्षात्कार से अल्पज्ञता, अल्पश्रुतता का समूल उन्मूलन हो जाता है।’

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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