गोपी गीत -करपात्री महाराजगोपी गीत 3भगवद्-पादारविन्द के वज्र-चिह्न का ध्यान करने से सम्पूर्ण पाप तत्क्षण वज्राहत होकर नष्ट हो जाते हैं। भगवान के पादारविन्द का अंकुश, विषयरूप जल में निमग्न मनरूप मत्स्य को बरबस खींच लेता है अथवा महामत गजेन्द्ररूप मन को वशीभूत कर लेता है। सूर्य-चिह्न के ध्यान से अज्ञानान्धकार का तत्काल अपनोदन एवं स्वप्रकाश तत्त्व का सम्यक् स्फुरण होता है। जिस राम-नाम को विष्णु-सहस्रनाम तुल्य समझकर भगवती पार्वती अपने पति भगवान शिव के संग सदा जपती रहती हैं, ऐसे रघुनाथ रामचन्द्र के मंगलमय पवित्र नाम का प्रातःस्मरण सर्व प्रकार के पाप का शमन एवं वाणीदोष का अपहरण करने वाला है। भगवन्नामोच्चारणरूप वाक्-व्यवहार से वाङ्मय-क्षरणरूप अपराध का विनाश हो जाता है। जिनको भगवान कृष्णचन्द्र का इष्ट है वे परमानन्दकन्द कृष्णचन्द्र का ही ध्यान करें। वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् पीताम्बरादरुणबिम्बफलाधरोष्ठात्। ऐसे ही भूत-भावन विश्वनाथ सदाशिव, राजराजेश्वरी त्रिपुर-सुन्दरी ललिता पराम्बा आदि अन्य इष्ट के भी विभिन्न उपलक्षण हैं। |