विषय सूची 1 श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश' 2 अध्याय 1 पद 6-10 3 टीका टिप्पणी और संदर्भ 4 संबंधित लेख श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश' अध्याय 1 पद 6-10 श्री उत्तमौजा युधामन्यु, पराक्रमी वरवीर हैं। सौभद्र, सारे द्रौपदेय, महारथी रणधीर हैं॥6॥ द्विजराज! जो अपने कटक के श्रेष्ठ सेनापति सभी। सुन लीजिये मैं नाम उनके भी सुनाता हूँ अभी॥7॥ हैं आप फिर श्रीभीष्म, कर्ण, अजेय कृप रणधीर हैं। भूरिश्रवा गुरुपुत्र और विकर्ण से बलवीर हैं॥8॥ रण साज सारे निपुण, शूर अनेक ऐसे बल भरे। मेरे लिये तैयार हैं, जीवन हथेली पर धरे॥9॥ श्री भीष्म-रक्षित है नहीं, पर्याप्त अपना दल बड़ा। पर भीम-रक्षा में उधर, पर्याप्त उनका दल खड़ा॥10॥ टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश' पहला अध्याय (1) · द्वितीय अध्याय (2) · तृतीय अध्याय (3) · चतुर्थ अध्याय (4) · पंचम अध्याय (5) · षष्टम अध्याय (6) · सातवाँ अध्याय (7) · आठवाँ अध्याय (8) · नौवाँ अध्याय (9) · दसवाँ अध्याय (10) · ग्यारहवाँ अध्याय (11) · बारहवाँ अध्याय (12) · तेरहवाँ अध्याय (13) · चौदहवाँ अध्याय (14) · पंद्रहवाँ अध्याय (15) · सोलहवाँ अध्याय (16) · सत्रहवाँ अध्याय (17) · अठारहवाँ अध्याय (18) वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः