हरिगीता अध्याय 1:6-10

श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'

अध्याय 1 पद 6-10

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श्री उत्तमौजा युधामन्यु, पराक्रमी वरवीर हैं।
सौभद्र, सारे द्रौपदेय, महारथी रणधीर हैं॥6॥

द्विजराज! जो अपने कटक के श्रेष्ठ सेनापति सभी।
सुन लीजिये मैं नाम उनके भी सुनाता हूँ अभी॥7॥

हैं आप फिर श्रीभीष्म, कर्ण, अजेय कृप रणधीर हैं।
भूरिश्रवा गुरुपुत्र और विकर्ण से बलवीर हैं॥8॥

रण साज सारे निपुण, शूर अनेक ऐसे बल भरे।
मेरे लिये तैयार हैं, जीवन हथेली पर धरे॥9॥

श्री भीष्म-रक्षित है नहीं, पर्याप्त अपना दल बड़ा।
पर भीम-रक्षा में उधर, पर्याप्त उनका दल खड़ा॥10॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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