हरिगीता अध्याय 18:71-75

श्रीहरिगीता -दीनानाथ भार्गव 'दिनेश'

अध्याय 18 पद 71-75

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बिन दोष ढूँढे जो सुनेगा, नित्य श्रद्धायुक्त हो॥
वह पुण्यवानों का परम शुभ लोक लेगा मुक्त हो॥71॥

अर्जुन! कहो तुमने सुना यह ज्ञान सारा ध्यान से॥
अब भी छूटे हो या नहीं, उस मोहमय अज्ञान से॥72॥

अर्जुन ने कहा-
अच्युत! कृपा से आपकी, अब मोह सब जाता रहा॥
संशय रहित हूँ, सुधि मुझे आई, करूँगा हरि कहा॥73॥

संजय ने कहा-
इस भाँति यह रोमांचकारी और श्रेष्ठ रहस्य भी॥
श्रीकृष्ण अर्जु न का सुना संवाद है मैंने सभी॥74॥

साक्षात् योगेश्वर स्वयं श्रीकृष्ण का वर्णन किया॥
यह श्रेष्ठ योग-रहस्य व्यास-प्रसाद से सब सुन लिया॥75॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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