स्‍याम सुंदर पर वार -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरह निवेदन


राग पीलू


स्‍याम सुँदर पर वार ।
जीवड़ा मैं वार डारूँगी, स्‍याम सुंदर० ।। टेक ।।
तेरे कारण जोग धारणा, लोक लाज कुल डार ।
तुम देख्‍याँ बिन कल न पड़त है, नैन चलत दोउँ वार ।
कहा करूँ कि‍त जाऊँ मोरी सजनी, कठिन बिरह की धार ।
मीराँ कहै प्रभु कबर मिलोगे, तुम चरणाँ आघार ।।93।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जीवड़ा = प्राणों को। वार डारूँगी = न्योछावर कर दूँगी। धारणा = धारण करूँगी। कुल = कुल की मर्यादा। डार = उपेक्षा करके। चलत = आँसू देते हैं। वार = समय। दोऊ वार = दोनों समय, साँझ सवेरे। धार = धारा, वेग। र = रे।

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