श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य पृ. 188

श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य

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चतुर्थो अध्याय

स दृष्टादृष्टेष्टविषयाशीर्विवर्जिततया दृष्टादृष्टर्थे कर्मणि प्रयोजनम् अपश्यन् ससाधनं कर्म सन्न्यस्य शरीरयात्रामात्रचेष्टो यतिः ज्ञाननिष्ठो मुच्यते इति एतम् अर्थं दर्शयितुम् आह-

वह केवल शरीर यात्रा के लिए चेष्टा करने वाला ज्ञाननिष्ठ यति, इस लोक और परलोक के समस्त इच्छित भोगों के आशा से रहित होने के कारण, इस लोक और परलोक के भोगरूप फल देने वाले कर्मों में अपना कोई भी प्रयोजन न देखकर कर्मों को और कर्मों के साधनों को त्यागकर मुक्त हो जाता है। इसी भाव को दिखलाने के लिए (अगला श्लोक) कहते हैं-

निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रह: ।
शारीरं केवलं कर्म कुर्वतन्नाप्नोपि किल्बिषम् ॥21॥

निराशीः निर्गता आशिषो यस्मात् स निराशीः यतचित्तात्मा चित्तम् अन्तःकरणम् आत्मा बाह्वः कार्यकरणसंघातः तौ उभौ अपि यतौ संयतौ येन स यतचित्तात्मा, त्यक्तसर्वपरिग्रहः त्यक्तः सर्वः परिग्रहो येन स त्यक्तसर्वपरिग्रहः।

शरीरं शरीरस्थितिमात्रप्रयोजनं केवलं तत्र अपि अभिमानवर्धितं कर्म कुर्वन् न आप्नोति न प्राप्नोति किल्बिषम् अनिष्टरूपं पापं धर्म च। धर्मः अपि मुमुक्षोः किल्बिषम् एव बन्धापादकत्वात्।

जिसकी संपूर्ण आशाएँ दूर हो गयी हैं, वह ‘निराशीः’ है, जिसने चित्त यानी अंतःकरण को और आत्मा यानी ब्रह्म कार्य करण के संघातरूप शरीर को इन दोनों को भली प्रकार अपने वश में कर लिया है वह ‘यतचित्तात्मा’ कहलाता है, जिसने समस्त परिग्रह का अर्थात् भोगों की सामग्री का सर्वथा त्याग कर दिया है, वह ‘त्यक्तसर्वपरिग्रह’ है।

ऐसा पुरुष केवल शरीर स्थितिमात्र के लिए किए जाने वाले और अभिमानरहित कर्मों को करता हुआ पाप को अर्थात् अनिष्ट रूप पुण्य पाप दोनों को नहीं प्राप्त होता। बन्धनकारक होने से धर्म भी मुमुक्षु के लिए तो पाप ही है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. प्रथम अध्याय 16
2. द्वितीय अध्याय 26
3. तृतीय अध्याय 114
4. चतुर्थ अध्याय 162
5. पंचम अध्याय 216
6. षष्ठम अध्याय 254
7. सप्तम अध्याय 297
8. अष्टम अध्याय 318
9. नवम अध्याय 339
10. दशम अध्याय 364
11. एकादश अध्याय 387
12. द्वादश अध्याय 420
13. त्रयोदश अध्याय 437
14. चतुर्दश अध्याय 516
15. पंचदश अध्याय 536
16. षोडश अध्याय 557
17. सप्तदश अध्याय 574
18. अष्टादश अध्याय 591
अंतिम पृष्ठ 699

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