श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य पृ. 16

श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य

Prev.png

प्रथम अध्याय

धृतराष्ट्र उवाच-

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेतात युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।।1।।

धृतराष्ट्र बोले- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से इकट्ठे होने वाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?।।1।। धृतराष्ट्र उवाच-

दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्।।2्।।

संजय बोले- उस समय राजा दुर्योधन पाण्डवों की सेना को व्यूह रचना से युक्त देखकर गुरु द्रोण के पास जाकर कहने लगा।।2।।

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तवप शिष्येण धीमता।।3ा।।

गुरुजी! आपके बुद्धिमान् शिष्य द्रुपद पुत्र धृष्टद्युम्न द्वा3रा व्यूह रचना से युक्त की हुई पाण्डवों को इस बड़ी भारी सेना को देखिए।।3।।

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।4।।
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः।।5ः।।
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एवं महारथाः।।6ः।।


Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. प्रथम अध्याय 16
2. द्वितीय अध्याय 26
3. तृतीय अध्याय 114
4. चतुर्थ अध्याय 162
5. पंचम अध्याय 216
6. षष्ठम अध्याय 254
7. सप्तम अध्याय 297
8. अष्टम अध्याय 318
9. नवम अध्याय 339
10. दशम अध्याय 364
11. एकादश अध्याय 387
12. द्वादश अध्याय 420
13. त्रयोदश अध्याय 437
14. चतुर्दश अध्याय 516
15. पंचदश अध्याय 536
16. षोडश अध्याय 557
17. सप्तदश अध्याय 574
18. अष्टादश अध्याय 591
अंतिम पृष्ठ 699

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः