श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य पृ. 17

श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य

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प्रथम अध्याय

इस सेना में महाधनुर्धर वीर, लड़ने में भीम और अर्जुन के समान सात्यकि, विराट और महारथी द्रुपद, बलवान् धृष्टकेतु, चेकिस्तान तथा काशिराज एवं नरश्रेष्ठ पुरुजित्, कुन्तिभोज और शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु, बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र- ये सभी महारथी हैं।।4-6।।

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।7े।।

हे द्विजोत्तम! हमारे पक्ष के भी जो प्रधान हैं, उनको आप समझ लीजिए। आपकी जानकारी के लिए मैं उनके नाम बतलाता हूँ जो कि मेरी सेना के नेता हैं।।7।।

भवान्बीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।8े।।

आप, पितामह भीष्म, कर्ण और रण विजयी कृपाचार्य, वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र (भूरिश्रवा)।।8।।

अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।
नानासस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धिवाशारदाः।।9े।।

इनके सिवा अन्य भी बहुत से शूरवीर मेरे लिए प्राण देने को तैयार हैं, जो कि नाना प्रकार के शस्त्रास्त्रों को धारण करने वाले और सब के सब युद्ध विद्या में निपुण हैं।।9।।

अपर्याप्तं तदस्माकं बपलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।10े।।

ऐसी वह पितामह भीष्म द्वारा रक्षित हमारी सेना सब प्रकार से अजेय है और भीम द्वारा रक्षित इन पाण्डवों की यह सेना सहज ही जीती जा सकती है।।10।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. प्रथम अध्याय 16
2. द्वितीय अध्याय 26
3. तृतीय अध्याय 114
4. चतुर्थ अध्याय 162
5. पंचम अध्याय 216
6. षष्ठम अध्याय 254
7. सप्तम अध्याय 297
8. अष्टम अध्याय 318
9. नवम अध्याय 339
10. दशम अध्याय 364
11. एकादश अध्याय 387
12. द्वादश अध्याय 420
13. त्रयोदश अध्याय 437
14. चतुर्दश अध्याय 516
15. पंचदश अध्याय 536
16. षोडश अध्याय 557
17. सप्तदश अध्याय 574
18. अष्टादश अध्याय 591
अंतिम पृष्ठ 699

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