श्रीमद्भगवद्गीता शांकर भाष्य
प्रथम अध्यायइस सेना में महाधनुर्धर वीर, लड़ने में भीम और अर्जुन के समान सात्यकि, विराट और महारथी द्रुपद, बलवान् धृष्टकेतु, चेकिस्तान तथा काशिराज एवं नरश्रेष्ठ पुरुजित्, कुन्तिभोज और शैब्य, पराक्रमी युधामन्यु, बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र- ये सभी महारथी हैं।।4-6।। अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम। हे द्विजोत्तम! हमारे पक्ष के भी जो प्रधान हैं, उनको आप समझ लीजिए। आपकी जानकारी के लिए मैं उनके नाम बतलाता हूँ जो कि मेरी सेना के नेता हैं।।7।। भवान्बीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः। आप, पितामह भीष्म, कर्ण और रण विजयी कृपाचार्य, वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र (भूरिश्रवा)।।8।। अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः। इनके सिवा अन्य भी बहुत से शूरवीर मेरे लिए प्राण देने को तैयार हैं, जो कि नाना प्रकार के शस्त्रास्त्रों को धारण करने वाले और सब के सब युद्ध विद्या में निपुण हैं।।9।। अपर्याप्तं तदस्माकं बपलं भीष्माभिरक्षितम्। ऐसी वह पितामह भीष्म द्वारा रक्षित हमारी सेना सब प्रकार से अजेय है और भीम द्वारा रक्षित इन पाण्डवों की यह सेना सहज ही जीती जा सकती है।।10।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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