या मोहन के मैं रूप लुभानी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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रूप राग

राग गूजरी


या मोहन के मैं रूप लुभानी ।। टेक ।।
सुंदर वदन कमल दल लोचन, बाँकी चितवन मँद मुसकानी।
जमना के नीरे तीरे धेन चरावै, बंसी में गावै मीठी बानी ।
तन मन धन गिरधर पर वारूँ, चरण कँवल मीराँ लपटानी ।। 8 ।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. या = इस। दल = पंखुड़ी। बाँकी = तिरछी। मुसकानी = मुसक्यान। नीरे = नियरे, पास। लपटानी = लिपट गई। ( देखो - ‘चरणाँ लिपट परूँरी ( 18 ), ‘चरण कँवल लपठास्याँ हों माई’ ( 38 ), इत्यादि।

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