प्रेमनी प्रेमनी प्रेमनी रे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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प्रेमनी प्रेमनी प्रेमनी रे, मने लागी कटारी प्रेमिनी ।।टेक।।
जन जमुनामां भरवा गयांतां हती नागर माथे हेमनी, रे।
काचे ते तातणे हरिजीए बांधी, जेम खेंचे तेम तेमनी, रे।
मीराँ कहे प्रभु गिरधर नागर, शामली सुरत शुभ एमनी, रे ।।175।।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बेहाल = बेसुध। न्यारी = अलग। जानों = समझती या पहचानती हूँ। पाम = पाँव, चरणों में।

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