पिय बिनि सूनौ छै म्‍हाँरो देस -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरह निवेदन

राग दरबारी कान्‍हरा


पिय बिनि सूनौ छै म्‍हाँरो देस ।। टेक ।।
ऐसा है कोई पीवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस ।
तेरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण को भेस ।
अवधि वदीती अजूँ न आए, पंडर होइ गया केस ।
मीराँ के प्रभु कबर मिलोगे, तजि दियो नगर नरेस ।।121।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सूनौ = शून्य, निर्जन। छै = है। वदीती = बीत गई। अजूँ = आज तक। पंडर = श्वेत। तजि... नरेस = राजा का देश वा मेवाड़ का राज्य तक त्याग दिया।

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