जाबादे जाबादे जोगी कि‍सका मीत -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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उपालंभ


जाबादे जाबादे जोगी कि‍सका मीत ।।टेक।।
सदा उदासि रहै मोरि सजनी, निपट अटपटी रीत ।
बोलत बचन मधुर से मानूँ[1], जोरत नाहीं प्रीत ।
मैं जाणूँ या पार निभैगी, छाँडि चले अधबीच ।
मीराँ के प्रभु स्‍याम मनोहर प्रेम पियारा मीत ।।61।।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मीठे
  2. जाबादे = जाने दे। मीत = मित्र, साथी। उदासि = उदासीन, निरपेक्ष। अटपटी = बेढंगी। मधुर से = मीठा मीठा। मानूँ = मानो, जैसे। या = इसके साथ

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