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गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
द्वितीय अध्यायसञ्जय उवाच संजय बोले- राजन्! निद्रा को जीतने वाले अर्जुन अन्तर्यामी भगवान् श्रीकृष्ण से इस प्रकार कहकर, फिर श्रीगोविन्द से यह स्पष्ट कहकर कि ‘मैं युद्ध नहीं करूँगा’ चुप हो गये। भरतवंशी धृतराष्ट्र! तब अन्तर्यामी भगवान् श्रीकृष्ण ने दोनों सेनाओं के बीच में शोक करते हुए उस अर्जुन से हँसते हुए-से ये वचन कहे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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