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गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
षोडश अध्याय
दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोध: पारुष्यमेव च । पार्थ! दम्भ, घमंड, अभिमान, क्रोध, कठोरता और अज्ञान ये सब (दुर्गुण) आसुरी सम्पदा में उत्पन्न मनुष्य में होते हैं। दैवी सम्पदा मोक्ष के लिये और आसुरी सम्पदा बन्धन के लिये मानी जाती है। इसलिये पाण्डु कुमार! तू शोक मत कर, क्योंा कि तू दैवी सम्पदा में उत्पन्न हुआ है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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