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गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
द्वादश अध्याय
अर्जुन उवाच अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोंक्त प्रकार से निरन्तर आपके भजन-ध्यान में लगे रहकर आप दिव्य मंगल विग्रह साकार सगुण स्वरूप भगवान् को और दूसरे जो केवल अक्षर सच्चिदानन्दघन अव्यक्त ब्रह्म को ही अति श्रेष्ठ भाव से भजते हैं, उन दोनों प्रकार के उपासकों में अति उत्तम योग वेत्ता कौन हैं?। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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