विषय सूची
गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रथम अध्याय
संजय ने कहा- भारत! (धृतराष्ट्र) निद्राविजयी अर्जुन के इस प्रकार कहने पर इन्द्रियों के स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण ने दोनों सेनाओं के बीच में भीष्म और द्रोणाचार्य के तथा सम्पूर्ण राजाओं के सामने उत्तम रथ को खड़ा करके इस प्रकार कहा- ‘पार्थ! युद्ध के लिये एकत्र हुए इन कुरुपक्षीय योद्धाओं को देख’। तब पृथापुत्र अर्जुन ने उन दोनों ही सेनाओं में युद्ध के लिये उपस्थित ताऊ-चाचों को, दादों-परदादों को, आचार्य-गुरुओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को, मित्रों को तथा श्वशुरों को और सुहृदों को देखा। उन सम्पूर्ण बन्धुओं को उपस्थित देखकर वे कुन्तीपुत्र अर्जुन अत्यन्त करुणा से युक्त होकर विषाद करते हुए ये बचन बोले। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | प्रकरण | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज